रुमनी घोष, नई दिल्ली। समय सीमा उसे बांध नहीं सकती है। रुचि और जुनून का ऐसा तालमेल है कि गोटियां थक जाए पर उसकी चाल नहीं। वह कितने भी घंटे इनके साथ शह-मात खेल सकते हैं। वैसे सात-आठ घंटे का नियमित अभ्यास तो उनके दिनचर्या में शामिल है, लेकिन कई बार 15 घंटे लगातार बैठकर रिकार्ड भी कायम कर चुके हैं। यह हैं भारत के 76वें ग्रैंड मास्टर और अंडर-16 वर्ल्ड विश्व युवा शतरंज चैंपियन प्रणव आनंद। उन्होंने रोमानिया के मामाइया में चल रही विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप में तय मानकों को पूरा कर ग्रैंड मास्टर की उपाधि हासिल की wp
चाल हो तो बेंगलुरू के 15 वर्षीय उभरते हुए युवा खिलाड़ी प्रणव आनंद जैसी
Author: Sanjay Pokhriyal
Publish Date: Sun, 18 Sep 2022 09:51 AM (IST)Updated Date: Sun, 18 Sep 2022 09:51 AM (IST)
आइए, जानते हैं इस उभरते हुए युवा खिलाड़ी प्रणव आनंद के बारे में?
बेंगलुरू के 15 वर्षीय शतरंज खिलाड़ी प्रणव आनंद भारत के 76वें ग्रैंड मास्टर बन गए हैं। उन्होंने रोमानिया के मामाइया में चल रही विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप में 2500 ईएलओ रेटिंग की संख्या पार कर यह उपलब्धि हासिल की।
रुमनी घोष, नई दिल्ली। समय सीमा उसे बांध नहीं सकती है। रुचि और जुनून का ऐसा तालमेल है कि गोटियां थक जाए पर उसकी चाल नहीं। वह कितने भी घंटे इनके साथ शह-मात खेल सकते हैं। वैसे सात-आठ घंटे का नियमित अभ्यास तो उनके दिनचर्या में शामिल है, लेकिन कई बार 15 घंटे लगातार बैठकर रिकार्ड भी कायम कर चुके हैं। यह हैं भारत के 76वें ग्रैंड मास्टर और अंडर-16 वर्ल्ड विश्व युवा शतरंज चैंपियन प्रणव आनंद। उन्होंने रोमानिया के मामाइया में चल रही विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप में तय मानकों को पूरा कर ग्रैंड मास्टर की उपाधि हासिल की।
प्रणव के खेल पर बेहद बारीकी से नजर रखने वाले उनके प्रतिद्वंदी कहते हैं “वह गणना और अंतिम खेलों में विशेष रूप से बहुत अच्छे और पारंगत हैं। उन्होंने 11 में से 9 अंक प्राप्त किए और बाकियों से आधा अंक आगे रहकर बाजी मार ली। वह 11 राउंड तक नाबाद रहे। सात में जीत दर्ज की और चार मैच ड्रा किए। 24 घंटे के अंतराल में दो विश्व स्तरीय खिताब अपने नाम करने के बाद भी 15 वर्षीय यह शतरंज खिलाड़ी प्रणव बेहद संतुलित व अनुशासित हैं। उनके दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं आया। खेल खत्म होने के बाद उन्होंने रात को नियमित रूप से अपने खेल का आकलन किया। कैसा महसूस हो रहा है? यह पूछने पर वह बहुत ही विनम्रता से जवाब देते नजर आते हैं कि टाइटल (खिताब) मिलना बड़ी बात है। मैं कई बार इसके करीब पहुंचा, लेकिन पा नहीं सका था। अब अच्छा लग रहा है। प्रणव को जानने वालों का मानना है चाहे जिंदगी हो या शतरंज की बिसात… यह संतुलित व्यवहार ही उसकी ताकत है। सह खिलाड़ियों और समीक्षकों का मानना है कि वह गणना और विशेष रूप से आखिरी के चाल चलने में बहुत माहिर हैं।