बाराबंकी, जेएनएन। गन्ना किसानों के लिए आय बढ़ाने में सहायक सबसे अच्छी प्रजाति सीओ 0238 का अस्तित्व समाप्त हो गया है। ‘द वंडर केन’ कही जाने वाली गन्ने की इस किस्म में रोग ने अपना प्रभाव डाल दिया है। इस वर्ष प्रजाति पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि, कुछ ऐसी ही विशेषताओं वाली पांच किस्मों पर प्रयोग शुरू हो गया है।
दरअसल, 12 वर्ष पहले विकसित सीओ 0238 ‘द वंडर केन’ में 13 से 14 प्रतिशत रस और मिठास निकलती थी, जबकि प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन दो हजार से लेकर 2500 क्विंटल था। अन्य प्रजातियों में 11 से 12 प्रतिशत रस और मिठास निकलती है। गन्ना उत्पादन एक हजार से लेकर 1500 क्विंटल तक ही हो पाता है।
रोग के चंगुल में फंसी किस्म
गन्ने की अद्भुत किस्म माने जाने वाली सीओ 0238 को पोक्का बोइंग, लाल सड़न, टापर बोरर रोग ने जकड़ लिया है। तीनों ही रोग गन्ने के लिए हानिकारक हैं। दवाओं के इस्तेमाल से भी बीमारी दूर नहीं हो पा रही है। इसलिए गन्ना विभाग ने इसके बोने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस वर्ष इस प्रजाति को नहीं बोया गया है।
करनाल में विकसित हुई थी 0238
गन्ना क्रांति के जनक कहे जाने वाले वरिष्ठ विज्ञानी डा. बख्शी राम ने वर्ष 2009 में गन्ना की नई प्रजाति सीओ 0238 विकसित की थी। इससे गन्ना किसानों को फायदा हुआ। उत्पादन दोगुणा होने लगा था। इस प्रजाति को देशी नाम ‘करन फोर’ व अंग्रेजी नाम ‘द वंडर केन’ दिया गया। पूरे देश में सर्वाधिक बोई जाने वाली प्रजाति थी।