भले ही गोरखपुर जिले की नदियों में प्रदूषण रोकने के बेहतर प्रबंधन नहीं करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रदेश सरकार पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया हो, लेकिन राप्ती, रोहिन और आमी नदी में गिरने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए अभी कई साल लगेंगे।
स्थिति यह है कि इन नदियों में रोजाना करीब सात करोड़ लीटर गंदा पानी गिर रहा है। वहीं, रामगढ़ताल में अब भी 18 गंदे नालों का पानी गिर रहा है। आमी नदी में औद्योगिक क्षेत्र गीडा की कई फैक्ट्रियों का जहरीला पानी गिरने से रोकने के लिए बनाई जानी वाली कॉमन इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) कई साल से पाइपलाइन में अटकी पड़ी है।राप्ती और रोहिन में एसटीपी लगने में लगेंगे तीन से चार साल
शहर के 21 बड़े और 18 छोटे नालों का गंदा पानी राप्ती नदी, रोहिन नदी और रामगढ़ताल में गिरता है। 21 में से छह बड़े नालों को टैप कर रामगढ़ताल में बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ले जाया जाता है, जहां उसे शोधन किया जाता है। लेकिन, अब भी 18 नालों का गंदा पानी रामगढ़ताल में गिर रहा है। हालांकि इसे टैप करने के लिए जल निगम द्वारा सीवर लाइन बिछाई जा रही है। जल्द ही सभी नालों का पानी शोधित होने के बाद ही रामगढ़ताल में गिरेगा। लेकिन राप्ती और रोहिन नदी में गिरने वाले गंदे पानी के शोधन के लिए अभी कम से कम तीन से चार साल का समय लगने की संभावना है, क्योंकि नगर निगम के प्रस्ताव पर जल निगम ने राप्ती और रोहिन नदी में गिरने वाले नालों के पानी के शोधन के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तैयार किया है। परियोजना की शुरुआत हो चुकी है।